সুবোধ সরকার-এর কবিতার হিন্দি ভাষান্তর করলেন দেবলীনা চক্রবর্তী
প্রেমিক কখনও মারা যায় না
সুবোধ সরকার
যতদিন চন্দ্রদোষ থাকবে
যতদিন চাল ডাল থাকবে
যতদিন জ্যোৎস্না থাকবে
যতদিন কালোজিরে থাকবে
যতদিন শিউলি থাকবে
ততোদিন আমি বেঁচে থাকব। ততোদিন ততোদিন ততোদিন ততোদিন আমি ভালোবাসব।
যে ভালোবাসে সে কখনও মারা যায় না।
प्यार करनेव्याला कभी मरते नहीं
कवि ~ सुबोध सरकार
जब तक चंद्रमा दोषदुष्ट रहेगी
जब तक दाल चावल रहेगा
जब तक ज्योत्सना उजली रहेगी
जब तक कलौंजी के दाने रहेगा
जब तक शिउली खिलेगा
तब तक मैं जिंदा रहूंगा।
तब तक,तब तक, और तब भी मैं प्यार में ही रहूंगा
क्युकी कभी मरते नहीं प्यार करनेव्याला
সে
সুবোধ সরকার
এমনিতে সে ঘুমিয়ে থাকে
নিজের মধ্যে গোপন রাখে
বর্ষা আসে বসন্ত যায়
জাগে না কোনও আশকারায়।
কিন্তু যখন জাগে
এক আকাশ জ্যোৎস্না লাগে
এক আকাশ বৃষ্টি লাগে
এক আকাশ আগুন লাগে
এক আকাশ ঝড়
ভূমন্ডলে কাঁপতে থাকে আমার বাড়ি ঘর।
वह
कवि ~ सुबोध सरकार
ऐसे भी वह नींद में रहता है
अपने भीतर गुप्त रहता है
बारिश आता है बसंत चला जाता है
किसी भी चाहात से नहीं जाग उठता है।
पर जब जागता है,
तब उसे चाहिए
एक आकाश चंद्र प्रभा
एक आसमान बारिश
एक आकाश समान तेज
एक आसमान तूफान
और मेरा घर कांप उठता है जमीन पर।
দেখা না দেখায় মেশা
সুবোধ সরকার
যখন আমি বুঝতে পারি আর পাঁচ মিনিট
মাত্র পাঁচ মিনিট আছি আমরা।
তখন আমার বুকের বাঁদিকে
একটা গাঙচিল ঠোকরাতে থাকে।
যখন আমি বুঝতে পারি আর তিন মিনিট
ঠিক তিন মিনিট আছি আমরা।
তখন একটা কালো জিরে
গলার কাছে চুপ করে থাকে।
যখন আমি বুঝতে পারি এক মিনিট আছে
আর এক মিনিট আছে।
আমার কান্না পায়। চোখ দিয়েতো সব দেখা যায় না
চোখের জল দিয়ে দেখা যায়।
देखा और अंदेखा का मिलाओ
कवि ~ सुबोध सरकार
जब हम महसूस करते है की और पांच मिनिट
सिर्फ पांच मिनिट तक हम हैं
तब हमारे धड़कन में
एक गुल पक्षी ठोकर मारते है।
जब हम एहसास करते है की और तीन मिनिट
सिर्फ तीन मिनिट तक हम हैं
तब एक कलौंजी के दाने गले में
शांत बैठ जाते है।
जब हम एहसास करते है की और एक मिनिट
सिर्फ एक मिनिट हैं
तब हमें रोना आता है। अंखोसे सब कुछ दिखाई नहीं देता
पर आंसू के स्वच्छ जल में सब प्रतीत होता है।
ঈগল
সুবোধ সরকার
একটি সাক্ষাৎকারের শেষে
আমাকে জিজ্ঞেস করা হল
আপনাকে যদি পাখি করে দেওয়া হয়
আপনি কোন পাখি হতে চাইবেন?
আমি বললাম
"ঈগল"।
সাক্ষাৎকার গ্রহণকারী বললেন
কেন ?
ঈগল একমাত্র পাখি
যে ঝড়বৃষ্টিতে
পৃথিবীর কোন বাড়িতে আশ্রয় নেয় না।
সে বৃষ্টির আগে
পৃথিবীকে চোখ মেরে
মেঘের ওপরে উঠে যায়।
সে বৃষ্টির আগে
চিরন্তন দুঃখের ওপরে উঠে যায় ।
बाज
कवि ~ सुबोध सरकार
एक साक्षात्कार के अंत में
मुझसे पूछा गया था
यदि आप को पक्षी बनने की मौका दिया जाता हैं
आप कौन सा पक्षी बनना चाहेंगे?
मैंने कहा.
"बाज"।
साक्षात्कारकर्ता ने कहा
क्यों?
कारण बाज एकमात्र पक्षी है
वह झंझा तूफान मे भी
संसार के किसी घर में शरण नहीं लेता।
बारिश से पहले ही
दुनिया को आंख मारके
बादलों के ऊपर चला जाता है।
बारिश से पहले ही वह
शाश्वत दुःख से ऊपर उठ जाता है।

2 comments:
চমৎকার অনুবাদ 🙏 খুব ভালো হয়েছে।
কবির কবিতার সঙ্গে অনুবাদকের অনুবাদের সন্নিকর্ষ খুঁজে পেলাম।
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